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Ghanshyam Sharma

Abstract

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Ghanshyam Sharma

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मैं अब सूरज बन गया हूँ

मैं अब सूरज बन गया हूँ

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मैं जला हूंँ,

मैं जला हूंँ,

मैं बस जला हूँ।


मैं इतना जला हूंँ,

इतना कि

मैं अब तैयार हूंँ,

अंधेरा मिटाने को,

नया सवेरा लाने को,

मैं अब सूरज बन गया हूँ।


आत्ममंथन-आत्ममंथन-आत्ममंथन,

मैंने इतना किया है आत्ममंथन,

इतना कि

मैं अब अमर हूंँ,

मंथन से मैंने

अमृत जो पा लिया है।


अश्रुस्नान-अश्रुस्नान-अश्रुस्नान,

मैंने इतना किया है अश्रु स्नान,

इतना कि

मैं सदा के लिए निर्मल हो गया हूँ,

कि मैं अब कभी भी मलिन न हो पाऊंगा।


मैं इतना जला हूंँ,

इतना कि

मैं अब तैयार हूंँ,

अंधेरा मिटाने को,

नया सवेरा लाने को,

मैं अब सूरज बन गया हूँ।


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