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Jay Yadav

Abstract

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Jay Yadav

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मांं

मांं

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घुटनों से रेंगते रेंगते

कब पैरों पर खड़ा हुआ

तेरी ममता की छांव में

जाने कब बढ़ा हुआ।


काला टीका और दूध मलाई

आज भी सब कुछ वैसा है

मैं ही मैं हूं हर जगह

प्यार यह तेरा कैसा है ?


सीधा साधा भोला भाला

मैं भी सबसे अच्छा हूं ।

कितना भी बड़ा हो जाऊं पर

मां मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।


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