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माँ

माँ

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मैं उजला सवेरा हूँ

मुझे संवारने वाला सूरज है माँ

मैं दिल की धड़कन हूँ

मेरा पूरा दिल है माँ

मैं शाम को डूबता हुआ दिन हूँ

हर नए दिन का उजियाला है माँ

मैं गुनगुनाता गीत हूँ

उस गीत का सुर है माँ

मैं बिखरा हुआ काँच हूँ

उससे बना हुआ आईना है माँ

मैं रात का अंधियारा हूँ

उसे संवारता चाँद है माँ

मैं बीता हुआ कल हूँ

मेरा आज सँभालती है मेरी माँ

मैं हरदम रूठा हुआ बालक हूँ

मुझे मनाती अबतक है मेरी माँ

मैं मिट्टी का प्याला हूँ

वो ममता की मूरत है मेरी माँ

सताता उसको मूरख हूँ

मेरे लिए हर गम सहती है माँ

मैं भटका हुआ मुसाफ़िर हूँ

मुझे दिखाती सही रास्ता है माँ

मैं आसमां में उड़ता पंछी हूँ

उस पंछी का पेड़ है माँ

मैं घिरता जब भी संकटों में हूँ

उससे बाहर निकालती मुझको मेरी माँ

मैं देता जब भी परीक्षा हूँ

मुझसे ज्यादा चिन्ता करती मेरी माँ

मैं बहता हुआ पानी हूँ

मुझे समुद्र तक पहुँचाती मेरी माँ

 

 

 

 

 

 


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