माँ
माँ
माँ ही ईश्वर माँ ही इबादत
माँ ममता की मूरत है
सबसे सच्ची इस जगत में
माँ तेरी मोहब्बत है
तूने तिफ़्ली में चलना सिखाया
खुद भूखी रही मुझे खिलाया
मुझे सुलाने के कई जतन किये
कभी कथा कही कभी गीत गाया
इस जगत में माँ से बड़ी
कोई भी न दौलत है
माँ ही ईश्वर माँ ही इबादत
माँ ममता की मूरत है
मेरी सफलता में श्रेय है तेरा
तू मुस्काई मैं जब अव्वल आया
मुझे लड़खड़ाते देखा जब-जब
इक तू ही शख्स जो हर पल आया
माँ जैसा कोई न दूजा माँ के
क़दमों में जन्नत है
माँ ही ईश्वर माँ ही इबादत
माँ ममता की मूरत है
मैं गाँव को आता जब-जब
मेरी रुचि के व्यंजन बनाती
तू परोस कर व्यंजन पहले
मुझे खिलाती फिर खुद खाती
माँ से मिले स्नेह की कभी न
चुकती कीमत है
माँ ही ईश्वर माँ ही इबादत
माँ ममता की मूरत है
मैं गाँव से जब लौटता वापस
चौखट पे अश्क़ बहाती है
फिर चूम कर मेरी जबीं को
अलविदा कह हाथ हिलाती है
माँ के इस पवित्र प्रेम में कभी न
कोई फ़ुर्क़त है
माँ ही ईश्वर माँ ही इबादत
माँ ममता की मूरत है
तूने अक्सर पीर सही और
मुझे सुख का जीवन दिया
जीवन में जब छाया अंधेरा
तब तूने ही उजाला किया
खुद से ज्यादा मुझे चाहना
यही माँ की आदत है
माँ ही ईश्वर माँ ही इबादत
माँ ममता की मूरत है