माँ !
माँ !
मैं हर रात चैन से सोऊँ,
तू रात-भर मेरे विचारों में खोई हुई,
मैने जब-जब शरारत की,
तूने उसे नजरअंदाज की।
हे ईश, क्या सुन्दर तूने यह व्यक्ति बनाया है,
सर्वगुण संपन्न, ममतामयी और दयावान बनाया है।
मेरे दुख हरने के लिए खुद संकट मोड़ लेती है,
मुझे कुशल जीवन प्रदान करने हेतु अपने सारे दुख भुला लेती है।
जब मैं उससे अपने लिए कुछ मांगता
वह तुरंत मुझे लाके देती,
परंतु जब मैं उसके लिए कुछ पूछता
वह केवल मेरा सुख माँगती।
वह पहले मुझे खिलाती फिर स्वयं खाती,
जब मैं कठिनाइयों फस जाए तो वह भाग कर आती,
जब मुझे चोट लगती तो वह मेरा पालन पोषण करती,
चिक्नु जब उसे चोट आई तो मैं उसके सारे कर्म भुला दिया।
सही राह पर अग्रसर होने में सहायक है तू,
जब भी में भटकू तो मुझे मार्ग दर्शन देने में सहायक है तू, मेरे सफल होने का करण है तू,मुझे पतन की और जाने की बाधा है तू।माँ, लाखो में एक है तू! मेरे लिए हर दिवस मातृ दिवस है,और तुम्हारे लिए हर दिवस पुत्र दिवस।तुम्हने मेरे जीवन में शिक्षा का प्रकाश डाला,तुम्हने मुझे सफलता का परचम लहराने दिया| तुम ही मेरी प्रेरणा हो,तुम ही मेरी आराधना।तुम्हने मेरे व्यक्तित्व का निर्माण किया,तुम्हने ही मुझे सही गलत एक ज्ञान दिया। तुम्हने मेरे हर कांटे को फूलों में परिवर्तित किया,तुम्हने मेरे समक्ष हर दीवार को तोड़ दिया।माँ, तुम्हने अपने जीवन का एक ही लक्ष्य रखा,कैसे भी हाल हो सदा मुझे खुश रखा।