माँ की दुआ...
माँ की दुआ...
मेरी राहों के हर काटे को वो पलकों से उठाती है,
मेरी एक मुस्कराहट के लिए जतन करती जाती है
ये "माँ कि दुआ ही है जो हर कदम साथ निभाती है।
तीखी धूप में ममता की तू छांव फैलाती है,
तेरे एक दीदार से आँखे मुस्कुराती है
ये माँ की दुआ ही है जो हर कदम मेरा निभाती है।
वैद-ग्रंथो के हर खंड तू मेरी गुरु बनकर सिखाती है,
मैं राहों में जो गिर जाऊँ, तो खुद से उठना सिखाती है
ये माँ की दुआ ही है जो हर कदम साथ निभाती है।