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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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माँ का आशीर्वाद

माँ का आशीर्वाद

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मुझे पता है आप नहीं मानोगे

कोई बात नहीं

मैं चाहता भी नहीं कि आप मानो,

वैसे भी आपके मानने या मानने से

आपको तो क्या मुझे भी फर्क नहीं पड़ता।

वो इसलिए कि आपको

माँ के आशीर्वाद की जरूरत कहां है?

अब आप बड़े हो गए हो

बहुत समझदार हो गए हो,

अच्छी नौकरी, अच्छा स्टेटस हो गया है

सूटबूट वाले यार दोस्त हो ग्रे हैं,

ऐसे में अनपढ़ गंवार माँ की

तुम्हें अब जरुरत कहाँ है,

अब भला ये कैसे कह दूँ

माँ की जरूरत भले न हो

माँ के आशीर्वाद की है।

ऐसा मानना भी अजूबा लगता है

माँ को सम्मान नहीं मिलेगा

तो उसका आशीर्वाद भी भला

कैसे परवान चढ़ेगा।

माँ का आशीर्वाद पाना है तो

कुछ करो या मत करो

बस माँ के दिल को ठेस न पहुँचाओ

उसकी आंखों में आसूं न लाओ।

माँ से प्यार करो, उसके पास बैठो

दो चार बातें करो, थोड़ा दुलार करो।

बस माँ का आशीर्वाद मिलता रहेगा

उसके आशीर्वाद से ही

तुम्हारा दामन खुशियों से भरा होगा।

मगर आपको ये सब दकियानूसी लगता है,

मगर इतना तय है प्यारे

आपकी औलाद भी इसी राह पर आगे बढ़ता है,

जब तक आप चकाचौंध से बाहर आते हैं

तब तक माँ को खो चुके होते हैं

तब माँ ही नहीं

उसके आशीर्वाद भी आपको बहुत याद आते हैं

मगर आप कुछ नहीं कर पाते हैं

बेबसी से हाथ मलते और पछताते हैं। 



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