लव ईज़ लव
लव ईज़ लव
तुम्हारा साथ होने का एहसास
आषाढ़ में अचानक हुई
बारिश सा सुख दे जाता है!
तुम्हारे साँसों की गर्मी में
ये तन मोम सा पिघलता
जाता है!
तुम्हारे अधरों की छुअन से मन
छुईमुई के पत्तों जैसा शर्मा जाता है!
तुम्हारे इंतज़ार में हाल मरुस्थल में
पानी की तलाश में भटकते
प्यासे सा हो जाता है!
कहीं भी हुआ तेरा जिक्र
बिखेरे हुए इत्र सी महक दे जाता है!
छोटी छोटी बातों पर हमारी
होती लड़ाई हमारे रिश्ते को
और भी प्रगाढ़ बना जाता है!
मन के कहीं एक कोने में तुम को
खो देने का डर भी सर उठाये
बैठता जाता है!
जीवन भर का तेरे साथ की चाहत
फिर मन में ख़ुशियों का सैलाब ले
आता है!
प्रिये....
हमारा प्यार उन तमाम किस्सों
कहानियों से इतर तो नहीं समझ
आता है।
फिर हमारे इस नैसर्गिक प्रेम को
लोग कुदरती क्यों नहीं समझते
जबकि कुदरत को भी ये साथ
भाता है।

