लक्ष्य
लक्ष्य
बैठी थी मैं ये सोच के भरनी है उड़ान,
करना है बहुत कुछ बनानी है पहचान।
आयेंगे बहुत सी मुश्किलें, डगमगायेंगे हौसले,
बुलंद है इरादे, हासिल करनी है मंजिले,
करना है बहुत कुछ बनानी है पहचान।।
लक्ष्य है कठिन, बनाना है आसान,
मुश्किलों से लड़कर बनानी है पहचान।
राह है कठिन पर मजबूत है इरादे,
चाँद को छूने के है, मुझसे मेरे वादे।
करना है बहुत कुछ बनानी है पहचान।।
कठिनाइयों से जूझकर पाना है मुकाम,
बनना है काबिल, बनानी है पहचान,
है उलझने बहुत सी पर सुलझाने की है चाह,
लहरो को चीर कर बनाना है ढाल,
करना है बहुत कुछ बनानी है पहचान।।
