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Priyanka Chauhan

Others

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Priyanka Chauhan

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राहें

राहें

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ये राहें न जाने कहां चल पड़ी है, 

न जाने किसे ढूंढ रही है।

मुकाम का तो पता नहीं, 

पर न जाने किस ओर चल पड़ी है।। 


चाहती है क्या न जाने ये मुझसे, 

न जाने क्यूं अपनी सी लग रही है।

मानो जैसे कोई टूटा सपना सच्च हो रहा हो, 

न जाने ये क्या कह रही है।। 


मुश्किल है इन उलझी राहों को समझना, 

न जाने ये मुझसे क्या कह रही है। 

चाहती तो है बहुत कुछ बताना, 

पर न जाने कहा ठहर सी गई है।। 


समझना तो बहुत कुछ चाहती है, 

पर न जाने क्यूं थम सी गई है। 

बस अब तो इंतजार है उस एक किरण की, 

जो इन राहों को अपनी रौशनी से चमका दे, 

इन्हें उजागर करके, मुकाम तक पहुँचा दे।।


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