कुत्ते से मुलाकात
कुत्ते से मुलाकात
इक बार चौड़ी सड़क सूनसान में ,घूम रहा मैं शान से
इक कुत्ता मिला मुझे राह में ,पुछा मुझसे प्यार से
किधर चले सरकार आज तो नहीं तुम्हारा वार
पहले तो मैं घबराया , ये कुत्ता कहाँ से बोल पाया
वो समझ गया मेरी उलझन ,दूर किया दिल की तड़पन
हम बोलते हैं सरकार, पर मनुष्य समझ नहीं पIता
पशुओं की क्या बात करे, वह तो अपने को ही झुठलाता , वह तो अपने को ही झुठलाता II
फिर शुरू हुआ दौर हमारे चर्चे का, मैंने शुरू किया ब्यौरा अपने खर्चे का,
कितनी मॅहगाई है मेरी तो शामत आयी है
ले दे कर की एक औलाद, वो भी है बड़ी फसाद
हर दिन चाहिए नया सामान , पढाई का खर्चा भी सातवें आसमान
ये बीवी रोती ही रहती है , ये चाहिए वो चाहिए कहती है
हर बात पर झगड़ती, नाक मुँह सिकोड़े रहती
मेरी तो चलती ही रहेगी गाड़ी , तुम सुनाओ अब तुम्हारी बारी II
बोलI मैं तो मस्त हूँ , देखो कितना स्वस्स्थ हूँ
मालिक मेरा रखता बड़े प्यार से, मैं भी लग जाता हूँ अधिकार से
ईश्वर ने भी अच्छा मनुष्य बनाया , अपनो को छोड़ इसने हमसे है दिल लगाया
दुलार आये तो पुचकार लेता, और गुस्से से दुत्कार भगाता
और यही चाहता करना एक दूजे के साथ , पर कौन आता है किसके हाथ
इसीलिए हम नहीं छोड़ते साथ उसका, क्योंकि तुममें नहीं कोई वफादार किसी का
हम बोलते हैं सरकार, पर मनुष्य समझ नहीं पIता
पशुओं की क्या बात करे, वह तो अपने को ही झुठलाता , वह तो अपने को ही झुठलाता II
मैं घबराया, बात बदलने पर जोर लगाया
अच्छा छोड़ो ये सब, बताओ कभी दिल लगाया
कुत्ता शरमाया , थोड़ा मुस्कुराया
बोला, हाँ हाँ क्यों नहीं, शादी भी बनाया
मैं बड़ा खुश , अब हुआ ये कुत्ता फ़ुस्स
जहाँ बीवी की बात आती है , अच्छे अच्छो की आह निकल जाती है
बोलो बोलो कैसा चल रहा सरकार, तुम और तुम्हारा परिवार
बोलI मैं तो मस्त हूँ , देखो कितना स्वस्स्थ हूँ
बीवी मेरी रखती बड़े प्यार से, मैं भी लग जाता हूँ अधिकार से II
अब पारा हुआ मेरा हाई , बहुत ही झुंझलाहट आई ,नाक भौ मैंने बनाई
यह कुत्ता अपने को क्या समझता है, बड़ा ही भगत बनता है
मैंने कहा सलाम भाई, अब उठने की घड़ी आई
कुत्ता बोला , अरे इतनी भी क्या जल्दी
तुम्हे बताता हूँ राज अपना हेल्दी
अपेक्षाएं है तुम्हारी बहुत , जो देती नहीं तुमको राहत
ज़िन्दगी है आसान , पर मनुष्य बड़ा नादान
आज छोड़कर कल के पीछे भागता , और खुद ही हो जाता लापता
जीना सीखो आज में , कुछ नहीं रखा इस भागम-भाग में
सब यही छूट जाना है , तो क्यों वो आज भी गवाना है
मुझे उसकी बात रास आयी , मैंने बात थोड़ी आगे बढ़ाई
इतना भी आसान नहीं सरकार , पता है हमारे बॉस का व्यवहार
जी करता है छोड़ दू नौकरी , पर हाथ में आ जाएगी टोकरी
बीवी बच्चो को कौन खिलायेगा , नई नई फरमाइशें कौन पुरायेगा
बहुत प्रेशर है लाइफ में, एक एक रोटी की मारा मारी है
अच्छी तो भाई ज़िन्दगी तुम्हारी है, ज़िन्दगी तुम्हारी है
कुत्ता बोला , अरे इतनी भी क्या जल्दी
तुम्हे बताता हूँ राज अपना हेल्दी
ज़िन्दगी है आसान , पर मनुष्य बड़ा नादान
अहंकार के पीछे जाता, छोटी छोटी बातों को दिल से लगाता
क्रोध, द्वेष, दम्भ सब उसके संग ,इसीलिए समझ में न आये उसको दुनिया के रंग
जिए जाओ अपनी मस्ती में, ज़िन्दगी नहीं मिलती इतने सस्ते में
बॉस तो आज कोई, कल दूसरा बेचारा ,
पर ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा, पर ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा II
