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Parul Mehta

Abstract Romance Classics

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Parul Mehta

Abstract Romance Classics

कुछ पल

कुछ पल

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कुछ पल है खुशी के,

चंद लम्हे भी हो सकते है,


 तेरे मेरे साथ के,

काले छोटे मोतियों की माला संजोयी है मैंने,


जिसके बिखरने का थोड़ा डर है मुझे,

चुरा न ले यह वक़्त कोई मेरा,


यह रंग तेरा है जान मेरी,

जैसे केसरीया संग समाहित है,


सफेद, हरा और थोड़ा नीला,

वैसे ही मेरे कुमकुम में मिला हुआ,


तेरा हर रंग कैसा,

जन्मों के लिया बँधे हैं हम एक डोरी में,


तुम, मैं और यह सपना !


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