कुछ दिन घर पर क्या रहा
कुछ दिन घर पर क्या रहा
कुछ दिन घर पर क्या रहा
मेरा तो हाल बहुत बुरा रहा
भूल गया था, अब दुनिया,
कोविड 19 से चुपचाप रहा
अब समझा मैं कुछ-कुछ,
प्रकृति को किया था रुष्ट,
इसलिये कोरोना ख़ौफ़ रहा
कुछ दिन घर पर क्या रहा
मेरा तो बहुत बुरा हाल रहा
कुछ महत्वाकांक्षी नीतियां,
चीन की बेकार नीतियां,
इंसानियत को तोड़ता रहा
उसकी बेवकूफ़ी,
ये विश्व फ़िझुल भोगता रहा
कुछ हमारी, कुछ चीन की,
कमियों से कोविड1 9 पैदा हुआ
कुछ दिन घर पर क्या रहा
मेरा तो बहुत बुरा हाल रहा
अब प्रकृति को बचाऊंगा,
स्वदेशी चीज अपनाऊंगा,
आत्मनिर्भर भारत बनाऊंगा
टूट जायेगा कोरोना,
लूट जायेगा चाइना,
बस अब भीतर से मन,
अपना सेनेटाइजर करूँगा
कुछ दिन घर पर क्या रहा
भीतर सुधार करता रहा