कोरोना एक युद्ध
कोरोना एक युद्ध
भय को विराग दो,
प्रचंड संग्राम हो,
आत्मशक्ति रूप से
विजित बनो।
काल छाया मृत्यु का,
कोरोना नामक शत्रु का,
है कष्ट में वसुंधरा
सबल बनो।
नैराश्य छाया विश्व में,
अदृश्य शत्रु रूप में,
ए शंखनाद युध्द का
स्वयं करो।
तन को विराम दो,
मन को आवाज दो,
अपने घर में बंदी आज
स्वयं बनो।
आई है जो आपदा,
न बनाओ श्रृंखला,
लक्ष्मण रेखा के
जतन करो।
जीतना सुखों से है,
भोगना वैराग्य है,
लॉकडाउन शस्त्र का
प्रयोग हो।
राष्ट्रभक्ति स्वप्न जो,
जन्म से मिला नहीं,
प्रसंग युध्दकाल का
त्वरित बढ़ो।
पुकारती है भारती
राष्ट्रसेवा कर्म को,
जन्म जो लिया है
उऋण बनो।
डंट रहे जो युद्ध में,
मिट रहे जो लक्ष्य में,
वारियर्स के पथ का तुम
प्रसून बनो।
वारियर्स ही ईश है,
अल्लाह और राम है,
मंदिर-मस्जिद आघात
मत करो।
हम सुषुप्त रात में,
जागता किसान है,
आज अन्नदेव को
नमन करो।
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द्रव्य केवल अन्न है।
स्वर्ण केवल अन्न है।
लालसा की लिप्तता को
बन्द करो।
जननी के शूर हो,
भारत के शेर हो,
धैर्य की परीक्षा आज
सज्ज हो।
आज धर्म छोड़ दो,
अपनी जाति त्याग दो,
विप्लव मैं माँ फंसी
रक्षण करो।
युद्ध न ये शस्त्र का,
युद्ध न ये अस्त्र का,
युद्ध ये तिमिर का
प्रदीप्त हो।
जो अतृप्त भूख से,
जो विलीन शोक में,
कर उठाओ प्रेम का
संबल बनो।
अपने मन को जीतकर,
कंटको को काटकर,
अपनी हर श्वास को
प्रबल करो।
कोरोना एक युध्द है,
जीतना ही कर्म है,
अपने मन में तुम यही
प्रण करो।
युद्ध अब भविष्य का,
भूत अंतरिक्ष का,
शस्त्र तुम उठाओ अब
सज्ज हो।
हर क्षण है जागरण
अदृश्य शत्रु हर कण,
पग-पग है एक जंग,
सजग रहो।
भारत के सूत हो,
विश्व अग्रदूत हो,
चक्रव्यूह भेदकर
अर्जुन बनो।
कोरोना का क्षय हो,
भारत 'अक्षय' हो,
नीलकण्ठ बन सभी
तांडव करो।