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Naveen Ekaki

Abstract

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Naveen Ekaki

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कमबख्त दिल

कमबख्त दिल

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उस आईने को तोड़ दिया हमनें अब,

जिसमें तेरी सूरत नज़र आती है।


कमबख्त पर इस दिल का क्या करें ,

धड़कन तेरा ही नाम गुनगुनाती है।


भूलना चाहता हूं तेरी हर बात को मै,

तो क्यूं बनके याद तू चली आती है।


चाहूं दूर जाना तेरी इन यादों से भी,

फिर क्यों मुझे यूँ बार बार सताती है।


जब होता है ज़िक्रे इश्क़ महफ़िल में,

तू बेवफाई की मूरत नज़र आती है।


उस आईने को तोड़ दिया मैंने अब,

जिसमें तेरी सूरत नज़र आती है।


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