एक जहां और भी है
एक जहां और भी है
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रोकना नहीं मुझे अपने कदमों को
मुझे इस दुनिया से कहीं दूर जाना है।
प्रेम विश्वास औ सौहार्द का हो संग
ऐसा इक खूबसूरत सा जहाँ बसाना है।
डर लगता है इस साजिशों के दौर से
मुश्किल लगता बहुत इनसे बच पाना है
आज मरती हुई इंसानियत के बीच में,
लडाई लड़ खुद की सांसो को बचाना है।
सुना है आकाश के परे एक जहां और भी है,
जहां बसता फ़क़त प्यार का फ़साना है।
चल पड़े हैं हमारे क़दम भी उस ओर ही,
अब बनके मोहब्बत खला में बिखर जाना है।
