कलमकार की कोई सीमा नहीं
कलमकार की कोई सीमा नहीं


जी हां मैं कलमकार हूं, मैं रचनाकार भी हूं,
मैं निरंतर लिखता जाता हूं
जब कभी लिखता हूं, पता नहीं
मैं अच्छा लिखता हूं या बुरा लिखता हूं,
पर मैं लिखता जाता हूं,
मैं प्रतिदिन लिखने का प्रयास करता हूं,
कभी सुबह लिखता हूं कभी शाम को लिखता हूं,
पर मैं लिखता जाता हूं,
मैं वर्तमान के मुद्दों पर लिखता हूं,
मैं लोगो को वस्तुस्थिती से
परिचय कराने को लिखता हूं,
पर मैं लिखता जाता हूं,
मेरी कलम लोगो को प्रेरणा दे,
ऐसा प्रयास में प्रतिदिन करता हूं,
मैं इसको अपनी लेखनी में प्रकट करता हूं,
पर मैं लिखता जाता हूं,
मैं अक्सर कविता लिखता हूं,
मैं समाज के ज्वलंत मुद्दों पर
ज्यादातर कविता लिखता हूं,
पर मैं लिखता जाता हूं,
मेरी लेखनी को सभी पढ़े,
ऐसा प्रयास में करता हूं,
नहीं पता की पसंद आई या नहीं,
लेकिन मैं निरंतर लिखता जाता हूं,
मैने कविता लिखी, कहानी लिखी, लेख लिखे,
सभी के लिखे,यही प्रयास में करता जाता हूं,
पर मैं लिखता जाता हूं,
जी हां मैं कलमकार हूं मैं रचनाकार भी हूं
मैं निरंतर लिखता जाता हूं,