कि कुछ और बात थी
कि कुछ और बात थी
क्या तुझ से मिलना
बस मिलना था
कि कुछ और बात थी
क्या तेरी नजरों का मुझ पर
आकर थम जाना
इज़हार ए मोहब्बत था
कि कुछ और बात थी
वो तेरा बेवजह मेरी
तारीफ करना बेमतलब था
कि कुछ और बात थी
तेरी जुल्फों का तेरे
चेहरे पर गिर जाना
किसी हसीन इत्तेफाक की
तरफ इशारा था
कि कुछ और बात थी
घंटों तेरा मेरे साथ वक्त बिताना
तुझे दिल से भाता था
कि कुछ और बात थी
तेरी बात तू ही जाने
मेरी बात मैं जान गया
जो हैं मेरे दिल में तेरे लिऐ
उन जज्बातों को पहचान गया
होना चाहता हूं हर पल तेरे साथ
अगर ऐसा हो पाता तो
फिर क्या बात थी।