ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
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ख्वाहिशें हुआ करती थीं कभी मेरी,
आजकल दिल कुछ खफा सा है।
इंतजार है दो बूंद बारिश की,
वो आग जिसमें दिल सुलगता रहे,
वो आग जो रूह को भिगोता रहे।
कहीं कोई टूटे से बंधन को तो जला दे,
कहीं कोई मेरी परछाई को तो हटा दे,
मेरी रूह को कोई मेरे खुदा से तो मिला दे।
ख्वाहिशें हुआ करती थीं कभी मेरी,
आजकल दिल कुछ खफा सा है।