ख़ुशी के बीज
ख़ुशी के बीज
ये जीवन तो है हँसने हँसाने के लिए
ख़ुशी ठूंठती नहीं मैं मुस्कुराने के लिए
ख़ुद ही ख़ुशियों के बीज़ बोते चली जाती हूँ
कली खिले न खिले, ख़ुश होते चली जाती हूँ
दो-चार ख़ुशी के फल तो मिल गए मुझे भी
बाक़ी छोड़ देती हूँ ज़माने के लिए
ख़ुशी ढूंढती नहीं मैं मुस्कुराने के लिए।