खुशबूदार है हिंदी
खुशबूदार है हिंदी
कश्मीर की घटी सी खुशबूदार है हिंदी
हिन्दुस्ता के विरासत की पहरेदार है हिंदी
किसी के मांग का सिन्दूर, माथे की बिंदी है
किसी के लाज का पल्लू, ममता का आँचल है
बड़ों का अदब, छोटों में संस्कार है हिंदी
गंगा- यमुना के तहज़ीब सी अदबदार है हिंदी
कश्मीर की घाटी !
हिन्दू की, मुसल्मा की, सदा जान है हिंदी
बसी रोम-रोम में जो, वो खुमार है हिंदी
कभी दुर्गा कभी काली, कबी ईद-दिवाली
कभी दीप की लौ सी, कभी लोबान है हिंदी
कभी गीता के श्लोक सी, कभी अज़ान है हिंदी
कश्मीर के घाटी !
कभी तुलसी कभी मीरा, कभी मीर कभी मिर्ज़ा
कभी मंदिर कभी मस्जिद, कभी द्वारा कभी गिरजा
जो हर धर्म को है प्यारा, वो ईमान है हिंदी
हर लफ्ज़ पर महकती, इतनी वजनदार है हिंदी
कश्मीर की घाटी !
कभी सलाम-नमस्ते, कभी आदाब अर्ज़ है
कभी बम बोल कावड़ियों की आवाज़ है हिंदी
कभी हज के रूप में मिली शबाब है हिंदी
कभी कृष्ण कभी राम, कभी रसखान है हिंदी
कश्मीर के घाटी !
कभी शान्ति कभी समृद्धि, कभी बलिदान है हिंदी
कभी लंगर कभी भंडारे सी निःस्वार्थ है हिंदी
लिपटी धरा सुसज्जित जिस रंग रूप में
बस तीन रंग की वो लिबास है हिंदी
कश्मीर की घाटी !