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खुद के सपने

खुद के सपने

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सुबह की धूप एक खुशी लाती है

माँ की ममता की तरह अपने रंग दिखाती है।

रात को सपने तो हर कोई देखता है

मगर उन सपनो को पूरा करने वाला हर कोई नहीं होता है।

बेशक हर कोई खुश नहीं है अपनी ज़िन्दगी से

पर कोई उस दुख को ही अपना दोस्त बना लेता है।


पता होगा तुम्हे भी कि ज़िन्दगी छोटी है बहुत

तो कभी दूसरो के सपनो को जीने में

खुद को खोते ना देखना।

हर कोई कर लेता है दूसरो की मजदूरी

मगर ज़िन्दगी का लुत्फ लेने मे

तुम भी पीछे ना होना।


सच तो यही है कि

दूसरो के सपनो में ज़िन्दगी काटते रह जाओगे,

लेकिन खुद के सपनो में ज़िन्दगी जीना सीख जाओगे।


सपने भी ऐसे जिसमे जूनून की आग हो,

मेहनत हो इतनी उसमे कि खून से लिखा इतिहास हो।

और समझ लेना मिल गयी मंज़िल तुम्हे उस दिन

जिस दिन तुम्हारे नाम से जुड़ा तुम्हरा ख्वाब हो...।



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