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palvi sharma

Inspirational

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palvi sharma

Inspirational

खोया - पाया

खोया - पाया

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क्या खोया, क्या पाया है ?

म़जिल की चाहत ने हम सबको ही

आज़माय है |


इस कदर मशरूफ रहे हम जिंदगी

सँवारने में,

जो सँवारा हुआ था उसी को गँवाया है |


खोने को तो बहत कुछ था,

जिंदगी ने हर मोड पर बार-बार

आज़माया भी खूब ।


सहारा तो समंदर की लहरों को भी नही होता

लेखिन सागर का साहिल से मिलना भी तो ज़रुरी है |


हम चंद लम्हों से जिंदगी तो बयां

नही कर सकते ।

इक लडने की चाह थी,

सपनो को पूरा करने का जज्बा था ।


खोया तो बहत कुछ,

कुछ बनावटी लोग,

कुछ बेहद अजीज़ यादें

और अपना एक हिस्सा ।


अाज ढूंढने की कोशिश करी तो मिला

क्या,

एक मुसकुहराहट अपने चेहर पे ।

क्योंकि अपना वजूद कायम रहा |

खुद को नहीं गँवाया है |


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