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Sangeeta Singh

Abstract

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Sangeeta Singh

Abstract

कहीं देर न हो जाए

कहीं देर न हो जाए

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कहीं देर ना हो जाए

पहचान लो जो अपने हैं


कौन है अपना, कौन है पराया

हर चेहरे को बेनकाब कर।


कर्मों करता है जिद तू

सबको बदलने का,


खुद को बदलकर देख

ये दुनिया खुद बदल जाएगी।


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