कहानी शर्मा जी की
कहानी शर्मा जी की
शर्मा जी की सुनो कहानी,
उनपे जो बीती,इक बात पुरानी,
था पड़ौस में इक परिवार,
शर्मा जी का जानकार,
था उनकी बिटिया का ब्याह,
शर्मा जी ने जतलाई परवाह,
पड़ौसियों की थी इक ताई,
जो थी बिटिया की शादी में आई,
ताई के घुटनों में था दर्द बड़ा,
मौसम भी था सर्द बड़ा,
पड़ौसी के घर में थे बिस्तर चंद,
फर्श पर सोने का था प्रबन्ध,
बोले शर्मा जी पड़ोसी से,
ताई रूक जाये उनके घर खुशी से,
ताई का शर्मा जी के घर जो आना हुआ,
शुरू मुसीबतों का तराना हुआ,
ताई के पीछे बच्चे भी आए,
संग अपने आफत ढेरों लाए,
नल खोला कर दी टंकी खाली,
गुम कर दी चम्मच,प्याली,थाली,
सारा दिन शोर मचाते सारे,
शर्मा जी तड़पते सरदर्द के मारे,
बोले शर्मा जी मुश्किल है ये तो,
अभी ब्याह में दिवस बचे दो,
आखिर में इक तरकीब जो सूझी,
ये पहेली ऐसे बुझी,
बोले शर्मा जी,सुनो पड़ौसी,
बड़ी बीमार है मेरी मौसी,
आज सुबह ही तार आया है,
तुरंत हम सभी को बुलवाया है,
जाना होगा भैय्या अब हमको,
लौटाते हैं मेहमान ये तुमको,
भागे शर्मा जी,रख सर पर पैर,
और मनाई अपनी खैर,
करते जो बिन सोचे उपकार,
कहते हैं,आ बैल मुझे मार,
शर्मा जी ने सबक ये सीखा,
करो समझ बूझ कर भला किसी का।