Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shubhra Varshney

Abstract

4  

Shubhra Varshney

Abstract

कहाँ से लाऊं

कहाँ से लाऊं

1 min
54


उम्मीद की छोटी चुनर में

चिंता सुराख करे जाती है 

बढ़ती फिक्र पर सुख की तुरपाई

दुख के पैबंदों को कहां छुपाती है

जो क्लांत मन को ढक सके

वह सुख की चादर कहां से लाऊं?


आसमां झुक झुक जाता है

चाँद सितारे खाक हुए जाते हैं

गीत संवल गए साज चुप हुए

आँसू दिल की तहरीर लिख जाते हैं

जो छू सकें टूटे अंतर्मन को

वह महकते ख़्वाब कहां से लाऊं?


आसमां में तैरता चाँद अक्सर

राहों में यूं ही खो जाता है

बंद पलकों में जुगनू रोज आकर

अंखियों में रात कर जाते हैं

जो भर दे निंदिया आंखों में

वह मीठी रात कहां से लाऊं?


रास्ते खंडहर हो जाते हैं

शहसवार रुक से जाते हैं

खुद में डरी सिमटी कलियां

फूलों की महक पी जाती हैं

इस पत्थर होती बस्ती में

जान जगाती रुह कहां से लाऊं?


बचपन की बिखरती दुनिया में

यौवन का दरिया उमड़ता है

दिल का नरम बिछौना भी

जख्मो की तपिश से जलता है

जो ख्वाबों को सहला जाए

वह धड़कते जज्बात कहां से लाऊं?


सजदे करने इस धरती से

आसमां भी झुक के आता है

काली रात के सीने में भी

तारा प्यार का टिमटिमाता है

जो गाए संग प्रीत का गाना

वह रहनुमा हमज़ुबाँ कहां से लाऊं?


खिंची खिंची अंखियों के सामने

खनखनाती शाम गुजरती है

है वक्त का कसूर या है मेरा

 ख़ुशियों को खोखला करता है

जो ला दे ख़ुशियाँ फिजाओं में

वह मीठी झंकार कहां से लाऊं?


ना तन्हा पशेमां हुआ यहाँ 

ना ही वक्त मसरूर था

जब ख़बर नहीं अपने-आप की

क्या आता ख्याल अधूरे प्यार का

जो चमका दे चांदनी प्यार की

वह झूमता सुरूर कहां से लाऊं?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract