Nikita Basera Creations
Abstract
इश्क करना तो चाहते, पर कर नहीं पाते।
टूटे हुए दिल को जोड़ना तो चाहते, पर जोड़ नहीं पाते।
इस खालीपन को भरना तो चाहते, पर भर नहीं पाते।
अरे कोई तो समझे इस खामोशी को, जो समझे तो वो मिल नहीं पाते।।
लड़का लड़की में...
एक लड़की
लंगोटिया यार
मजदूर
तुझसे मिलना
खामोशी
पतझड़ में झड़ गए पत्ते सारे सूखी शाख पर लगी है आग। पतझड़ में झड़ गए पत्ते सारे सूखी शाख पर लगी है आग।
उस कमरे को खाली ही रहने देना, वो खाली कमरा, मुझे पूरी तरह जानता है। उस कमरे को खाली ही रहने देना, वो खाली कमरा, मुझे पूरी तरह जानता है।
ये एक ही ज़िंदगी में कई ज़िंदगियाँ जी लेती है। ये एक ही ज़िंदगी में कई ज़िंदगियाँ जी लेती है।
दुनिया तरक़्क़ी कर रही है साहिब! मेरा देश विकास कर रहा है दुनिया तरक़्क़ी कर रही है साहिब! मेरा देश विकास कर रहा है
अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्रियां ? अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्र...
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
जो मन में आए, उसको कागज पर उतार दूं। आज मैं आजाद हूं, कुछ भी लिख सकती हूं। जो मन में आए, उसको कागज पर उतार दूं। आज मैं आजाद हूं, कुछ भी लिख सकती हूं।
ये फफककर रो पडेंगी बेआवाज देर तक रोती रहेंगी, इनके हिस्से का सुख बस इतना सा है। ये फफककर रो पडेंगी बेआवाज देर तक रोती रहेंगी, इनके हिस्से का सुख बस ...
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
कोई अल्हड़ हँसता रहता है। देखे मैंने हरदिल बस्ते ! कोई अल्हड़ हँसता रहता है। देखे मैंने हरदिल बस्ते !
सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं
क्योंकि मैं केवल मिश्रण ही नहीं मिश्रित भी हूं। क्योंकि मैं केवल मिश्रण ही नहीं मिश्रित भी हूं।
कुछ देर लगी इस नए सबक को समझने में, काफी देर लगी सच्चे रिश्ते को समझने में। कुछ देर लगी इस नए सबक को समझने में, काफी देर लगी सच्चे रिश्ते को समझने में।
विरासत विरासत
शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बेटियाँ। शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बे...
फिर अधिकतर शिल्प आगे बढ़ जाता है, लेकिन शिल्पकार नेपथ्य में रह जाता है। फिर अधिकतर शिल्प आगे बढ़ जाता है, लेकिन शिल्पकार नेपथ्य में रह जाता है।
मैं एक औरत हूँ जिससे संसार चल रहा है। मैं एक औरत हूँ जिससे संसार चल रहा है।
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
इसलिए घर के साथ-साथ रिश्तों में भी दीमक सी लगने लगी है। इसलिए घर के साथ-साथ रिश्तों में भी दीमक सी लगने लगी है।
अपनी दिल की आवाज़ को अनसुना नहीं करती मैं अपनी माँ जैसी नहीं हूँ। अपनी दिल की आवाज़ को अनसुना नहीं करती मैं अपनी माँ जैसी नहीं हूँ।