मजदूर
मजदूर
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वो तंग गलियों में रहने वाला
वो मैले कुचैले कपड़े पहनने वाला
गरीब कहते उसे सभी
पर वो न मानता इसे अभी
दर्द से बेखबर सा है
चोट तो लगती, पर दवा कहाँ है
दिन भर काम कर दो रोटी मिल जाती
इसी से उसे सारे जहान की खुशी मिल जाती