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Shivam Bajpai

Abstract

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Shivam Bajpai

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खाली मन की करतूतें

खाली मन की करतूतें

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इस खाली मन की करतूतों ने ऐसा सितम है ढाया

कि नींद से जागने के बाद भी, फिर से आलस आया


सीधी सादी सड़कों में भी भटक क्यों ये जाता है

सामने नज़र हो कर भी, ये खंबे से टकरा जाता है


इसको ना जाने सुकून नहीं, क्यों ये नहीं है सोता

खुद की ही बातों में ये हंस हंस कर फिर है रोता


सो कर इसे लगा था कि शांति हासिल हो जाएगी

लेकिन इसे मालूम ना था परेशानी सपनों में भी आएगी


हालात अब तो ऐसे हैं कि हर पल ये बक बक करता है

भीड़ भाड़ में भी अकसर ये सन्नाटों को ही ढूंढता है


और कुछ कहने को ज्यादा नहीं, फिर भी ये बेखबर है

यक़ीनन ये खाली मन की करतूतों का ही असर है।


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