कब तक रोकेंगे
कब तक रोकेंगे
लड़ते लड़ते हालातों से,
रिश्ता ऐसा बन गया।
हर मुश्किल आती रही,
मेरा हौसला बढ़ता गया।
करती रही हर बार साज़िश,
किस्मत हरा देने की।
मैंने अपनी नियति से ही,
रिश्ता गहरा जोड़ लिया।
इतना आगे बढ़कर अब,
ये कदम तो ना पीछे लौटेंगे।
चाहे कर ले हालात मजबूर कितना ही,
कठिनाइयों से मुँह ना मोड़ेंगे।
देखते हैं मेरी किस्मत के सितारे,
मुझे चमकने से कब तक रोकेंगे??
