कौन हो तुम !!
कौन हो तुम !!
कौन हो तुम ?
मेरी स्वास, मेरे हृदय का स्पंदन हो तुम
मेरे प्राण, मेरी आत्मा का बंधन हो तुम।
कौन हो तुम ?
मेरा प्रतिबिम्ब, मेरा अक्स हो तुम
मेरी सोच, मेरे विचारों का सारांश हो तुम।
कौन हो तुम ?
भावनाओं के भँवर में, मेरे संयम का पतवार हो तुम
निस्तब्धता में बजती, उमंग की सुरीली तान हो तुम।
कौन हो तुम ?
जीवन के ज्वार -भाटे में स्थिरता का प्रतीक हो तुम
विवादों के बवंडर में, चमकती तलवार हो तुम।
कौन हो तुम ?
तम में खोये राही का, मार्गदर्शी जुगनू हो तुम
एकांत की पीड़ा में, अपनत्व का स्पर्श हो तुम।
कौन हो तुम ?
मेरी अभिव्यक्ति, मेरी मुक्ति का अभिप्राय हो तुम
जकड़ी विचारो को उन्मुक्त कर दे,उस शक्ति का श्रोत हो तुम।
कौन हो तुम ?
थोड़ी स्याही, एक नोक, एक रंग का मेल हो तुम
कागज की संगी, मेरी उत्प्रेरणा हो तुम।
कौन हो तुम ?
मेरा शस्त्र, मेरा सिद्धांत हो तुम
मेरी आकृति, मेरी कलम हो तुम, मेरी कलम हो तुम।
