काश
काश
काश, काश करके अगर तू जीवन चला पाता,
तो तेरा हर सपना कब का साकार ना हो जाता।
काश काश करके अगर तू खुश रह पाता,
तो यह संसार तेरा पल भर में खुशियों से ना भर जाता ।
काश काश करके अगर तू समय बदल पाता,
तो तेरे जीवन की कठिनाइयों का पर्दा कब का उतर जाता।
काश काश करके अगर तू पैसे कमा पाता,
तो कब का अंबानी बन जाता ।
काश काश करके अगर तू रातों तक जाग पाता ,
तो कब का मुकाम हासिल कर लेता।
लेकिन ऐ ! मुसाफिर
काश काश करके किसका भला होता,
काश काश करके किसका जीवन चल पाता है?
तो काश नाम की चीज नहीं हर मुकाम सच में हासिल करना है ,
मुझे किसी का डर नहीं हर सपना आज ही पूरा करना है।
काश नाम की चीज नहीं मुझे सच में खुलकर हंसना है,
मुझे किसी का डर नहीं हर सपना आज ही पूरा करना है।
काश नाम की चीज नहीं खुलकर मुझे जीना है ,
मुझे किसी का डर नहीं हर सपना आज ही पूरा करना है।
काश नाम की चीज नहीं,
मुझे सच में परिंदे की तरह उड़ना है,
मुझे किसी का डर नहीं हर सपनाआज ही पूरा करना है।
काश नाम की चीज नहीं मुझे सच में दुनिया का कोना-कोना महसूस करना है ,
मुझे किसी का डर नहीं मुझे हर सपना आज ही पूरा करना है।
काश नाम की चीज नहीं मुझे सच में इस समाज की छोटी सोच से आगे निकलना है,
मैं गुलाम नहीं, इंसान हूं
मुझे हर सपना आज ही पूरा करना है,
मुझे किसी का डर नहीं, मुझे अपना हर सपना आज है पूरा करना है।