कारगिल विजय
कारगिल विजय
जो कदम बढ़ा आगे,
पीछे को नहीं धरती।
ये हिन्द की सेना है,
जो हार नहीं सकती।।
चट्टानी सीने है,
खम ठोंक के है बढ़ती।
पर्वत, दर्रे, नदियाँ
इसे रोक नहीं सकती।।
जो पीठ दिखा भागे,
उस पे वार नहीं करती।
ये हिन्द की सेना है,
जो हार नहीं सकती।।
