कारगिल के हीरो
कारगिल के हीरो
निनयान्वे का वो दौर था,
अटल हमारे नेता थे,
अटल ख्याल,
अटल स्वाभाव लिए,
बना रहे थे वो देश प्रबल।
गाँधी से उनके ख्याल लिए,
और शांतिपूर्वक मिज़ाज़,
एक ऐसे ही प्रयास मे, लाहोर तक,
बस का भी किया आगाज़|
शांति पूर्वक सब चल रहा था,
पर नज़र देखो यू किसी की ऐसे लगी,
पड़ोसी जो कभी हिस्सा था,
दगा ही हुमको दे गया|ॆ
कश्मीर की बस बात थी,
विभाजन जब्से क्या हुआ,
ना वो है खुश, ना खुश हम भी है,
धरती के इस स्वर्ग मे,
देखो कैसा ये युद्ध हो गया|
कारगिल मे घुस्पेठ से शुरू,
हुआ हमले का दौर,
भारत भी फिर चुप ना था,
अभियान विजय शुरू किया|
कई वीर इसका हिस्सा थे,
वो वीर बस वीर ना थे
,वो वीर हम मे से एक थे|
वचन दिए परिवार को की,
लौटेंगे फ़तह के साथ,
निकले वो युद्ध के लिए,
बंदूक थामे अपने हाथ|
पहने बहादुरी के वस्त्र,
आँखो मे लिए देश भक्ति का रस,
वो वीर अब हमारे रक्षक थे,
जो युद्ध नायक बने|
ना उँचे पहाड़ियो का दर उन्हे,
ना भूख प्यास की चिंता थी,
ना मौसम के कहर का होश,
विजय-विजय की रट लगाए,
वो लड़ रहे थे रात-दिन,
खून मे लिए अपने, वो जोश|
भारत के वो वीर जवान,
कुछ थल सेना, कुछ वायु सेना का बने हिस्सा,
थमे नही, रुके नही,
विजय का ना उन्होने,
जब तक लिख दिया किस्सा|
आख़िर वो दिन आ गया,
जब महीनो लंबी जंग थमी,
कारगिल अब सुरक्षित था,
विजय जिसकी वीर इतिहास बनी|
पर देखो इस जंग मे,
दोनो देशो ने कुछ खो दिया,
वो पाँच सौ तीस जवान थे,
जिसे इस जंग ने शहीद किया|
क्यूँ करते है हम ऐसी जंग,
जिसमे आँखें होती है नम,
ना लौटेंगे जवान वीर वो,
अब चाहे जितने भी करे हम जतन|
गर्व है हमे कारगिल के इन वीरो पर,
बहादुरी का जो पाठ पढ़ा गये,
हौसला- बुलंदी से कारगिल मे विजय दिला गये|
पर आओ अब एक दुआ करे,
की ऐसी जंग ना हो और,
प्रेम बढ़े दोनो मुल्को मे,
शांति का अब आए दौर|
छब्बीस जुलाई के कारगिल विजय दिवस पर,
आओ हम करे उन सेना वीरो को फिर याद,
वो नायक है, हमारे रक्षक है,
इतिहास मे ज़िंदा रहेंगे वो,
हमारे जाने के भी बाद|