जूते का दर्द
जूते का दर्द
तू तो धरती का बोझ है संभालता,
पर कोई न तेरा कष्ट है समझता।
कोई तुझ पर चढ़ता तो
कोई तुझे कुचलता,
पर कोई एक मिनट के लिए भी
तेरे कष्ट को महसूस न करता।
ऐ जूते, क्या तुझे तेरे कष्ट को
बोलने का मौका न मिला ?
क्या इन लोगों ने तेरा महत्व न रखा ?
तू इतना मत सोच यार,
मैं हूँ न तेरा साथ,
तेरा जब कोई मज़ाक उड़ाए ,
तब करना मुझको याद।
समाज की तू बात न सुनना,
अपने ही लक्ष्य पर आगे बढ़ते जाना।
समाज का तो काम है बोलना,
दूसरे का मज़ाक उड़ाना और
उसको हतोत्साहित करना,
पर तू उनके जाल में न फँसना,
मेरा साथ देना और अपने
लक्ष्य को हासिल करना।
कभी न रोना,
लोगों को तू दिखा देना,
ठोकर खाकर भी तुझे,
लक्ष्य को सिखाया हासिल करना।
आरंभ से लेकर अंत तक,
तू बस आगे ही बढ़ा,
और अंत में अपने जीवन की
आखिरी सीढ़ी पर चढ़ा।
आखिरी सीढ़ी पर चढ़ा।