जनता सुन लो
जनता सुन लो
स्वार्थी सकल देश को अपने, बाँट रहे हैं भाई
जाति धर्म अरु आन-बान की, देते व्यर्थ दुहाई
भारत माँ के लाल यहाँ जब, आपस में लड़ते हैं
भारत माँ की आँखों से तब, नित आँसू झरते हैं
करें नहीं हम तोड़ा फोड़ी, अरु हिंसक आन्दोलन
आगजनी अरु हत्याओं से, न हो कोई प्रयोजन
जैसे मित्रों घर है अपना, भारत अपना सबका
भाल भारती का हो उन्नत, हो यह सपना सबका
अपनी सड़कें, अपनी रेलें , अपनी बस हैं भाई
सार्वजनिक साधन हैं अपने, फिर क्यों करें लड़ाई
भीड़ तंत्र का बनें न हिस्सा, हम बुद्धि से विचारें
सब से न्यारा देश हमारा , इसे न व्यर्थ उजाड़ें
मिल जुल कर हम रहें सभी तो, देश तरक्की पाये
सुख, सुविधाओं का मिल कर हम, सब आनंद उठाएं
भारत की उन्नति में देखें ,सबकी उन्नति भाई
करें देश की रक्षा हम सब , करते रहें बड़ाई
आओ मिल पुरुषार्थ करें हम, काम देश के आएं।
मिलजुल कर हम रहें सभी जन, कर्मठ सब बन जाएं।
जिम्मेदारी समझें अपनी, निज कर्तव्य निभाएं।
बनें देश के सफल नागरिक, भ्रष्टाचार मिटाएँ।