STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

2  

Sudhir Srivastava

Abstract

जन्माष्टमी

जन्माष्टमी

1 min
105

क्षणिका


आइए एक बार फिर

कृष्ण जन्माष्टमी की

औपचारिकता निभाते हैं,

अपने कुविचारों को 

कुछ पल के लिए छिपाते हैं,

कृष्ण कन्हैया को भरमाते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract