जिंदगी
जिंदगी
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
कुछ इस तरह से रुठी हुई है जिंदगी
न तोड़ उसका मिल पाये हमे कहीं
सांसें आती जाती है नब्ज़ सिर्फ चल रही
न कोई उत्साह और ना कोई उमंग है बची
है कोई इस जिद्दी को मनाने वाला कहीं
कुछ इस तरह से रुठी हुई है जिंदगी
कुछ इस तरह से रुठी हुई है जिंदगी
न तोड़ उसका मिल पाये हमे कहीं
सांसें आती जाती है नब्ज़ सिर्फ चल रही
न कोई उत्साह और ना कोई उमंग है बची
है कोई इस जिद्दी को मनाने वाला कहीं
कुछ इस तरह से रुठी हुई है जिंदगी