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Tarun Kumar Sahu

Inspirational

4.2  

Tarun Kumar Sahu

Inspirational

जिन्दगी

जिन्दगी

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चाहे कोई साथ न हो,

मगर तुम चलते रहना।

रुकना नहीं थककर कभी,

हमेसा आगे बढ़ते रहना।


हर मोड़ पर खड़ा राह रोकने,

ये जालिम ज़माना है।

मंज़िल बहुत दूर है,

और रास्ता तुम्हें खुद बनाना है।


जिन्दगी के बाग में,

दर्द के फूल भी खिलेंगे।

तुम्हारी हर कोशिश में,

तुम्हें हारा हुआ बताने वाले

भी मिलेंगे।


मगर तू घबराना मत,

युद्ध का मैदान छोड़कर,

भाग जाना मत।

दुनियाँ कि परवाह न कर,

डर को डरा और आगे बढ़।

हौसला मत हार गिरकर,

चोट लगना लाज़मी है।

क्योंकि दोस्त गिरने के बाद,

उठने का नाम ही तो जिन्दगी है।



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