सब जानते हैं
सब जानते हैं
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वो कहते हैं कि तुम्हें अपना मानते हैं,
पर हमारे दर्द वो कब जानते हैं।
मैंने आंसुओं को खबर तो किया नहीं था,
पर आंसुएं है कि सब जानते हैं।
सोचता हूँ कि नहीं करूंगा अपने दर्द बयां,
पर ये दोस्त हैं कि मेरे हर नब्ज़ जानते है।
मैं रोकता रहा खुद को रोने से,
पर आंसू मेरे कहाँ मानते हैं।
इश्क में इससे बड़ा ईनाम क्या होगा,
कि अब दर्द भी मेरे घर का पता जानते हैं।