जीवन की रेल
जीवन की रेल
जीवन की इस रेल में, बैठना पड़ेगा।
जो ईद गिर्द बैठे हैं,उनको देखना पड़ेगा।
अच्छे एवं बुरे का, सोचना पड़ेगा।
खुशी एवं गम के स्टेशनों से, गुजरना पड़ेगा।
सर्द और गर्म को, सहन करना पड़ेगा।
सुहाना सफर है, महसूस करना पड़ेगा।
संकटों का सफर है, तो गुजरना करना पड़ेगा।
चलते ही रहेंगे,कहीं तो इस गाड़ी से उतरना पड़ेगा।
इर्द गिर्द बैठे लोगों से तेरा,मोह लग जायेगा।
उतरने को कहेंगे तो,उतर नहीं पायेगा।
यमराज टी.टी. फिर तेरे, पास आयेगा।
यहां तक का सफर है, ट्रेन आगे नहीं जायेगा।
कुछ भी क्यों ना हो जाए, अंतिम स्टेशन पर उतरना पड़ेगा।
हम सबको भी इस नज़ार को, समझना पड़ेगा।
