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Pankaj Priyam

Abstract

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Pankaj Priyam

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जीवन का उधार

जीवन का उधार

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एक आदमी का यह जीवन

तीन औरत का होता उधार।

माँ की जितिया पत्नी तीज

बहन का राखी दूज त्यौहार।


एक आदमी की हर धड़कन,

कहती सदा यह बारम्बार।

उनसे धक-धक मैं हर क्षण,

उनकी मुहब्बत अपरम्पार।


एक आदमी की हर साँसे,

कहती यही सबसे हरबार।

डोर ये साँसों की तब तक,

जब तक औरत का है प्यार।


एक आदमी का ये तनमन,

तीन औरत का होता उधार।

माँ की ममता, पत्नी प्रेम-

और बहनों का लाड़ दुलार।


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