Sampark Das
Abstract
वो मोहब्बत ही क्या,
जो बिना इज़हार किये
महसूस ना हो,
वो इज़हार ही क्या,
जिसमें पहली दफा
इनकार ना हो।
इज़हार ए मौहब्...
अंजानो की तरह
मोहब्बत के बह...
तुम हो अगर
खुद मेहरबां होयंगे वह रंग जमा लेने के बाद। खुद मेहरबां होयंगे वह रंग जमा लेने के बाद।
तुम घूमो बनकर मेघ और हम दीपक राग सुनाते हैं। तुम घूमो बनकर मेघ और हम दीपक राग सुनाते हैं।
व्यर्थ में सूखे बीज से ही हरितक्रांति आएगी। व्यर्थ में सूखे बीज से ही हरितक्रांति आएगी।
इससे अच्छा तो किसी उपनाम से दो बार उपन्यास लिखते। इससे अच्छा तो किसी उपनाम से दो बार उपन्यास लिखते।
कुछ पाने की ख्वाइश कुछ खोने का डर है कुछ नई मुस्कुराहटें कुछ नए दर्द है। कुछ पाने की ख्वाइश कुछ खोने का डर है कुछ नई मुस्कुराहटें कुछ नए दर्द है।
खोटा सिक्का ही रहता है, सदा अपनों के साथ। खोटा सिक्का ही रहता है, सदा अपनों के साथ।
पर कभी दिन तो चढ़ेगा उस नए कल का कभी दिन तो चढ़ेगा उस नए कल का। पर कभी दिन तो चढ़ेगा उस नए कल का कभी दिन तो चढ़ेगा उस नए कल का।
ऐ रंग वाले तेरे रंगों से मैं दुनिया बदल दूंगी हां वादा है मेरा मैं पैसे कल दूंगी। ऐ रंग वाले तेरे रंगों से मैं दुनिया बदल दूंगी हां वादा है मेरा मैं पैसे कल द...
बस इतना याद रख आज भी वो तेरी ही खूबसूरत सी हँसी दिल के सबसे करीब है मेरे। बस इतना याद रख आज भी वो तेरी ही खूबसूरत सी हँसी दिल के सबसे करीब है मेरे।
सबके आँखें नम हो चुके है। क्योंकि आज एक और बेटा शहीद हुआ है। सबके आँखें नम हो चुके है। क्योंकि आज एक और बेटा शहीद हुआ है।
पग निशा यहाँ किसके छप गये हैं हम हारे नहीं इनको पढ़ते-पढ़ते। पग निशा यहाँ किसके छप गये हैं हम हारे नहीं इनको पढ़ते-पढ़ते।
सौ-जन्मों तक फिर ना छेड़ पाए कोई बेटी। सौ-जन्मों तक फिर ना छेड़ पाए कोई बेटी।
भक्त को वरदान देते आप ही तो तारते- है खड़ा द्वारे सचिन भवमोचनी के सामने। भक्त को वरदान देते आप ही तो तारते- है खड़ा द्वारे सचिन भवमोचनी के सामने।
अब ना करूँ हठ ना करूँ मनुहार पड़ बौछार हुई तृप्त हृदय की पुकार। अब ना करूँ हठ ना करूँ मनुहार पड़ बौछार हुई तृप्त हृदय की पुकार।
पर माँ वही सिरहाने पे बैठी मुझे थपकियाँ दिए जा रही थी। पर माँ वही सिरहाने पे बैठी मुझे थपकियाँ दिए जा रही थी।
चमक दिशा पहचान है उसकी तू भी ख़ुद की पहचान बना। चमक दिशा पहचान है उसकी तू भी ख़ुद की पहचान बना।
अपनी ढाल मैं खुद हूँ, आत्मनिर्भर बनने दो मुझे। अपनी ढाल मैं खुद हूँ, आत्मनिर्भर बनने दो मुझे।
वक्त की आंधी में उड़कर मिट्टी में मिल ही जाना है। वक्त की आंधी में उड़कर मिट्टी में मिल ही जाना है।
कैसे कह दूँ थक गया हूँ मैं न जाने किस किस का हौसला हूँ मैं। कैसे कह दूँ थक गया हूँ मैं न जाने किस किस का हौसला हूँ मैं।
जी सकती अपनी ज़िन्दगी को अपने ही मर्ज़ी से, अपने बल पर। जी सकती अपनी ज़िन्दगी को अपने ही मर्ज़ी से, अपने बल पर।