इंसानियत...
इंसानियत...


ना हम हिंदू है,ना मुस्लिम
ना बौध्द, ना सिख़ ,ना ईसाई
इंसानियत बरसो पुराना धर्म है,
उसे अपनाते हैं भाई!
छोड़ देते हैं ये दाखिले पे
अब धर्म और जात लिखना
एक दूसरे के दिलों से
अब समझते हैं भाई!
नफरत की आंधी कब तक टिकेगी
इंसानियत के आगे प्यार से
हम सभी एकसाथ आगे बढ़ते हैं भाई!
छोड़ देंगे अब हम ये
अपने अपने मुहल्लों और
बाजार-ओ-कूचे में रहना
चलो एक दूसरें के
दिलों की मंजिलों मे
अब रहते हैं भाई!
चलो आज ये कसम खाते हैं
उनके सामने जो सिर्फ़ और सिर्फ़
हमें इंसान बनाके भेजते हैं भाई!
एक ना एक दिन देखना "समीप" ये
ऐसा अच्छा मंजर आयेगा हम सब
एक दूसरें से प्यार करेंगे और
बच्चा बच्चा इस को गायेगा!