प्रियंका ढोमणे
Drama
मुझ में हुनर ,
कुछ नहीं है खास
अकेलेपन के सिवा,
कुछ नहीं है मेरे पास।
हुनर
चम चम करता ताज है बेटी हमको तुझ पर नाज़ है बेटी । चम चम करता ताज है बेटी हमको तुझ पर नाज़ है बेटी ।
भूखा भिखारी...। भूखा भिखारी...।
आखिर तुमने भी नारायण अपनी भू देवी को पहचान कर की ही चुना होगा आखिर तुमने भी नारायण अपनी भू देवी को पहचान कर की ही चुना होगा
एक मर्मस्पर्शी कविता...। एक मर्मस्पर्शी कविता...।
इस सरज़मीं पे ज़ुबान-ए-मोहब्बत सही या दास्तान-ए-सितम सही मेरे रहनुमा...? इस सरज़मीं पे ज़ुबान-ए-मोहब्बत सही या दास्तान-ए-सितम सही मेरे रहनुमा...?
शांत चेहरे की मुस्कुराहट...। शांत चेहरे की मुस्कुराहट...।
रोचक शास्त्र मैं वर्तमान की वार्ता कहता हूँ रोचक शास्त्र मैं वर्तमान की वार्ता कहता हूँ
वो जिनकी आँँखों में मायूसी के लिए कोई जगह ही नहीं अपनी पलकों में सिर्फ़ जुनून लिये वो लोग जहाँँ म... वो जिनकी आँँखों में मायूसी के लिए कोई जगह ही नहीं अपनी पलकों में सिर्फ़ जुनून ...
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना, कैसे बर्बाद हुई मेरी जवानी लिखना...! मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना, कैसे बर्बाद हुई मेरी जवानी लिखना...!
और यही सोच रही है कि कितना कुछ पकाया मैंने इस आंच में। और यही सोच रही है कि कितना कुछ पकाया मैंने इस आंच में।
जब तुम लिखना बंद करो, शाम हो जाए, ज़िन्दगी की, ढल जाएँ हम संग-संग, चलो लिखते हैं तब तक! जब तुम लिखना बंद करो, शाम हो जाए, ज़िन्दगी की, ढल जाएँ हम संग-संग, चलो लिखते हैं ...
इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है
एक गज़ल...। एक गज़ल...।
जो मैं लिखता हूँ...। जो मैं लिखता हूँ...।
लंका में अग्निकांड भी मैं था लंका में अग्निकांड भी मैं था
फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ? फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ?
सूर्य मुस्कुराकर, खुद छिप जाएगा, कि तारों की रौशनी ही, अब इस जहाँ को, नई राह दिखलाएगी! सूर्य मुस्कुराकर, खुद छिप जाएगा, कि तारों की रौशनी ही, अब इस जहाँ को, नई राह दिख...
एक शिक्षक का काम छात्रों को अपने आप में जीवन शक्ति देखना सिखाना है, एक शिक्षक का काम छात्रों को अपने आप में जीवन शक्ति देखना सिखाना है,
थकी - थकी - सी है यह बेज़ार ज़िंदगी अब इसे थोड़े आराम की ज़रूरत है पसीने - पसीने हो गई है जल - जल के..... थकी - थकी - सी है यह बेज़ार ज़िंदगी अब इसे थोड़े आराम की ज़रूरत है पसीने - पसीने ह...