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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Abstract

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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Abstract

हसीं की विलुप्त होती प्रजाति

हसीं की विलुप्त होती प्रजाति

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अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


कोशिश की हंसने की

हंस ना पाया

बताया किसी ने

अभ्यास न करना

मुश्किल आती


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


ठान उसी समय

पुनः हसुंगा

सगा संबंधी सखा

सब ने दी शुभकामना

बुजुर्ग दी आशीर्वाद

दो पीढ़ी गुजरा

हंसा कोई नही

आरजू बस हँसे कोई


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


बिन गुरु ज्ञान नही

ढूंढने निकला गुरु

मिल जाए कोई गुरु

शिष्य जब से दी पटखनी

सारे गुरु अंडरग्राउंड


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


योग्य गुरु वेश बदल

घूम रहे पहचान छुपा

पिछले जन्म की पुण्य

मिला एक योग्य गुरु


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


बताया गुरु जी 

हंसना एक विद्या 

अनेकों अनेक शैली

एक भाषा आकर्षण व्याकरण

एक औजार अत्यंत उपयोगी

एक हथियार तेज़ धार


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


हंसना हसीं खेल नही

मिजाज हसने की हंसने वाला

चाहता नागरिक की खिलखिलाना

बताया गुरु जी 

हसीं की अनेकों श्रेणियां

नही जाना हंसना इतना कठिन

दल बदल की तरह आसान समझा

सृजन की तरह कठिन निकला


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


पॉपुलर फलेवर इसके

खुल कर हंसना

धीरे से हंसना

खिलखिलाकर कर हंसना

ठहाके लगा कर हंसना

आवाज दबा कर हंसना

नजरे बचा कर हंसना

हसी को छुपाना

छुप छुप कर हंसना

गम छुपाने के लिए हंसना

हसीं उड़ाने के लिए हंसना

मन ही मन हंसना

रोते रोते हंसना

किसी को खुश करने केलिए हंसना


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


कौन सा आइटम पसंद

होठों पे नन्हीं मुन्नी मुस्कान

प्रेम का संदेश

पैगाम सहयोग का

अपनत्व की भावना

नफा नुकसान से दूर

ऐसी हसीं सुनी जा सके


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


यह हसी की विलुप्त प्रजाति

अब न ऐसा ह्रदय

ना ऐसा होठ है

जो बन सके मुस्कान की वाहक

हंसने के ये प्रारूप

चलन में नही

हसने की कच्ची सामग्री

उसमे अनुकूल वातावरण

ऐसी निश्छल हसी अनुकूल नहीं


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


ऊपरी तौर लगा

प्यास जीता पानी हारा

भरोसा जन्मा अंदर

जल्द देखेगी दुनिया

मुस्कराता भारत


अच्छे से याद,

अक्सर हंसा करता

था आता हंसना 

गुजरा लंबा वक्त

क्यो हंसा नही।।


मन में है विश्वास

पूरा है विश्वास

हम होंगे एक दिन कामयाब!

  



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