बचपन की थी सखी सहेली बहना थी मुँह बोली जब से गाँव शहर को आया बची न सुंदर बोली बचपन की थी सखी सहेली बहना थी मुँह बोली जब से गाँव शहर को आया बची न सुंदर बोली
नदियाँ सिकुड़ती जा रही हैं। नदियाँ सिकुड़ती जा रही हैं।
लौकी तोरई तक हुईं, औक्सीटोसिन युक्त। लगता है हो जायेगा, मनुज धरा से लुप्त॥ लौकी तोरई तक हुईं, औक्सीटोसिन युक्त। लगता है हो जायेगा, मनुज धरा से लुप्त॥
स्वतंत्रता से जीने का हक छीन लिया हमारा। स्वतंत्रता से जीने का हक छीन लिया हमारा।
योग्य गुरु वेश बदल घूम रहे पहचान छुपा। योग्य गुरु वेश बदल घूम रहे पहचान छुपा।
मैं आज़ाद, तुम भी हो, धैर्य रखना।। नहीं खुश, आभासी मैं आज़ाद, तुम भी हो, धैर्य रखना।। नहीं खुश, आभासी