हुई बेबस अब तो देखो बस तन-मन से दुर्गंध है आती हुई बेबस अब तो देखो बस तन-मन से दुर्गंध है आती
महबूबा को आग़ोश में लेने के बावजूद उसके तन की ख़ुशबू आत्मसात न हो! महबूबा को आग़ोश में लेने के बावजूद उसके तन की ख़ुशबू आत्मसात न हो!
शुद्ध सरस जीव तरु को हैं सींचते गर सशंकित हो शुद्ध सरस जीव तरु को हैं सींचते गर सशंकित हो
मैं आज़ाद, तुम भी हो, धैर्य रखना।। नहीं खुश, आभासी मैं आज़ाद, तुम भी हो, धैर्य रखना।। नहीं खुश, आभासी