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Deepika mundra

Inspirational

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Deepika mundra

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हम बेटियाँ

हम बेटियाँ

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खुले आसमानों में उड़ने का शौक

बचपन से था हम बेटियों को।

बड़े-बड़े रास्तों पर दौड़ने का शौक,

भी बचपन से ही था हम बेटियों को,


नहीं रखा सपनों में भेदभाव हम बेटियों ने,

सोचा सपने तो सपने होते हैं।

उन्हें पुरुषों और औरतों में कैसे बांंट पाती हम बेटियां।

पता था मंजिल को पाना आसान नहीं।


हम बेटियों के लिए

कांटों का सफ़र तो था पर नहीं पता था।

कांटे बनकर अपनी ही राह में बिछ जायेंगे,

समाज की खोखले नियम बेड़ियां बन जाएंगे,

इन बेड़ियों को तोड़कर।


आगे तो बढ़ जाती हम बेटियां पर

अपनों से लड़कर कहां जाती हम बेटियां।


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