हकीकत के लिए
हकीकत के लिए
इस जहां में हर कोई कल्पनाशील है
कल्पनाओं को हकीकत में
बदलने के लिए प्रयत्नशील है
मां अपने बच्चे की खुशियों
व उसके कल्याण की कल्पना करती है
फिर उन खुशियों और कल्पनाओं को
साकार करने का प्रयत्न करती है
पिता बच्चों के सुनहरे भविष्य की
कल्पना करता है
फिर दिन रात उसे हकीकत
में बदलने में लगा रहता है
एक भूखा रोटी की कल्पना करता है
भूख मिटाने को दर ब दर भटकता है
पथिक मंजिल की कल्पना करता है
और उसे पाने के लिए
बिना रुके अनवरत चलता रहता है
एक लेखक नई-नई रचनाओं की कल्पना करता है
और धरती के हर कोने से लेकर
आसमान तक कल्पना से उसका विचरण करता है
एक भक्त अपनी भक्ति के लिये
भगवान को कल्पना से प्रत्यक्ष के लिये
दिन रात अपलक भक्ति करता है
ये जो कल्पनाएँ है
उसको साकार करने के लिये
हर प्राणी प्रयत्नशील है।